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Manohar Joshi Passes Away Life Political Career : शिवसेना के पहले मुख्यमंत्री मनोहर जोशी का अचानक दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 86 साल के थे। उन्होंने मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में अंतिम सांस ली। मनोहर जोशी ने महापौर से लेकर लोकसभा स्पीकर तक का सफर तय किया। वे केंद्रीय मंत्री भी रहे। आइए, उनकी जिंदगी और राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं…

बालासाहेब ठाकरे के करीबी थे मनोहर जोशी

मनोहर जोशी को बालासाहेब ठाकरे का करीबी माना जाता था। पिछले साल जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो उद्धव ठाकरे अपने परिवार के साथ उनका हालचाल जानने पहुंचे थे। जोशी को मुख्यमंत्री बनाने में बाल ठाकरे का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

मनोहर जोशी का कब हुआ जन्म?

मनोहर जोशी का जन्म 2 दिसंबर 1937 को रायगढ़ जिले के नंडवी में एक मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने अनघ जोशी के साथ शादी की थी। उनके एक बेटा और दो बेटियां हैं। मनोहर जोशी को मुंबई यूनिवर्सिटी ने राजनीति विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित था।

मनोहर जोशी के राजनीतिक सफर की कैसे हुई शुरुआत?

मनोहर जोशी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत शिवसेना से एमएलसी बनकर की थी। वे 1976 से 1977 के दौरान मुंबई के मेयर भी चुने गए। वे 1990 में विधानसभा के लिए चुने गए। इसके बाद वे 1999 में सेंट्रल मुंबई से जीतकर लोकसभा भी पहुंचे। जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार बनी तो वे 2002 से लेकर 2004 तक लोकसभा के स्पीकर भी बने।

महाराष्ट्र के पहले गैर-कांग्रेस सीएम बने मनोहर जोशी

शिवसेना-बीजेपी गठबंधन को जब विधानसभा चुनाव में जीत मिली, तो वे महाराष्ट्र के पहले गैर-कांग्रेस मुख्यमंत्री बने। वे 14 मार्च 1995 से लेकर 31 जनवरी 1999 तक सीएम पद पर रहे।

शिवसेना में था खासा प्रभाव

मनोहर जोशी का शिवसेना में बहुत सम्मान किया जाता था। वे काफी प्रभावशाली नेता थे। उनका पार्टी पर भी खासा प्रभाव था। जब जोशी को  2004 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा तो पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। उनका राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक शरद पवार और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे के साथ भी मधुर संबंध थे।

राजनीतिक सफर पर एक नजर

मनोहर जोशी ने 1967 से लेकर 1972 तक पार्षद, 1972 से 1989 तक विधायक, 1976 से लेकर 199 तक महापौर, 1990 से 1991 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, 1995 से 1999 तक सीएम, 1999 से 2004 तक लोकसभा सांसद और 2002 से लेकर 2004 तक स्पीकर रहे। उनके निधन से महाराष्ट्र ने अपना एक कोहिनूर हीरा खो दिया।

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